Thursday 7 February 2013

Vo Raat


वो एक अकेली रात ,
कहने को थे, सब मेरे साथ 

पर शायद थी,
वो एक अकेली रात 

आखें बंद हुई तो लगा,
कोई है मेरे पास
उस एक अकेली रात,
जिसने सर को सहलाया
जुल्फों को सुलझाया,
प्यार का एहसास कराया ....

तब मैंने देखा
वो तो वही था ,
जो चुपके से आता था ,
दिल का चैन चुराता था ,
सारी खुशियाँ  दे जाता था।

फिर उस्सने सारी खुशियाँ देदी,
इतनी की मैं समेंट  ही पाई
लगा मनो  जीवन जी लिया,
 आखों से नए सपनों को सी लिया।
उस एक अकेली रात ....

नींद सोयी तब भोर हुई
मैंने सुना,
   चिड़ियों  का चहचहाना ,
   पत्तों का गुनगुनाना ...

और मेह्सून किया 
     पुर्वा लहराना ,
      धुप का  सहराना ...


लाग सब मेरा है , मेरे लिए है 
         ज़िन्दगी ही बदल गयी 
           उस एक अकेली रात ...

अचानक!!!
हुआ ज़ोरों  का शोर ,पता नहीं वह क्या था 
और आँख खुल गयी 


मैं तो वहीं थी ,वैसी ही खाली हाथ ,
वो एक अकेली रात
.....

1 comment: