Tuesday 30 September 2014

माँ, तू कहाँ चली गयी !!!


माँ, तू कहाँ चली गयी
हमें अकेला छोड़...
तेरी कहानियाँ बसी रोम-रोम में
ग़ुम हुई लोरियाँ , तेरे संग व्योम में
तेरा सर से हाथ गया, जैसे एक विश्वास गया
माँ, तू कहाँ चली गयी...

हमारे नखरे उठाया करती थी,
जो माँगो ख़ुशी-ख़ुशी उसी वक़्त बनाया करती थी,
किरोशिये और सिलाई सिखाया कहती थी,
ये सब बाते तेरी, हमें बहुत भाया करती थी
माँ, तू कहाँ चली गयी... हमें अकेला छोड़...

स्कूल जाते तो बटुए से रूपया लाया करती थी,
हमारी गलतियाँ छुपा, बाबा की डांट से बचाया करती थी,
मम्मी को भी डांट लगाया करती थी,
माँ, तू कहाँ चली गयी...इस संसार में हमें अकेला छोड़

जो लिखवाए थे हमसे तूने
भजन वो तेरे, तुझे याद करते हैं
तेरी वो किताबें, मह्यूस देखती है, ढूंढ़ती है तुझे
सूनी हो गयी वो पौडी, जहाँ तू अक्सर बैठी मिल जाया करती थी
तेरे बिन सूना वो मंदिर, जहाँ तो रोज़ जाया करती थी.
माँ, तू कहाँ चली गयी...

अष्ट-चांग-पै जैसे खेल खिलाया करती थी,
नयी-नयी कहावतें, नए भजन सुनाया करती थी,
तेरी गोदी में सर रख, सोने को दिल करता है,
तेरा वो माथा चूमना , अब हमें खलता है।
माँ, तू कहाँ चली गयी...

तू हर पल,हर दम यूहीं याद आएगी,
तेरी ये पोतियाँ तेरा सिखाया निभायेंगी 
जीवन के हर चरण में, ये तेरा मान बढ़ाएंगी
माँ, तू कहाँ चली गयी...  

Tuesday 9 September 2014

Yun Karke Majboor Na Jaa





Yun Karke Majboor Song, Written, Sung & Composed By Amit Sharma inspired artist.



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Thursday 4 September 2014

प्रीत -एक अलग परिभाषा


तेरी प्रीत ने सिखाया,
खुद से प्यार करना,
तेरी प्रीत ने बताया,
आईने में  संवरना ,

तेरे दिल से  दिल लगाया,
तो खुद को आज पाया,
तेरे प्यार में घुलकर,
कमियाबियों ने एक ,
नया कारवाँ सजाया

एक जुनून तो था ही दिल में,
तूने रास्ता  बनाया,
मंजिलों को पाने का ,
हौंसला   बढाया,

प्यार की एक अलग सी,
परिभाषा को समझाया,
जब-जब कदम बढ़ाया ,
तेरे हाथों में हाथ,
और तेरा साथ पाया,

तू पास है मेरे,
मुझमे ये विश्वास जगाया,
ऐसे नए प्यार से,
मुझे अभिभूत कराया,

एक एक कदम पर मेरे,
तेरा सुझाव आया
तेरे संग फैसलों ने,
खूबसूरत जीवन दिलाया,

तुझसे मेरे जीवन ने,
पाया एक नया आकार
विश्वास है, होंगे हमारे,
अब सब सपने साकार

Thursday 7 August 2014

तमन्ना











आत्म प्रयाण पूर्व / समक्षमैं इस एक पल को महसूस करने की इच्छा रखती हूँ, जो शायद मेरी ज़िन्दगी का एक खूबसूरत पल होगा।



तेरा मेरा साथ हो अगर,
तो प्यार बरसाऊँ सारा तुझ पर,
भविष्य से लगता अब डर ,
जीलूँ ज़िन्दगी का अब पल हर ,

चल रही हो जब आखिर साँसे,
रह जाऊँ तेरी गोदी में रख सर,

ऐसी खुश नसीबी शायद हो मेरी,
आखिर साँस हो इतनी गहरी ,
ज़िन्दगी का उसमे हो वो मज़ा,
के फिर मौत लगे कोई सजा। 

समा जाये वो प्यार संग तेरा,
समां होगा कितना प्यारा,
खिला होगा तब भी यह चेहरा,
क्यूंकि तेरे हाथो का श्रृंगार 
जो इस पर ठहरा 

रोऊँगी - चिल्लाऊँगी ,
चुप-चाप वहाँ से चली जाउंगी,
फिर कभी सताऊँगी 
फिर कभी आखें दिखाऊँगी। 

जब भी चाहेगा साथ मेरा,
होगा संग एहसास मेरा 
ईश्वर से होगी यही सदा 
भूल जाये वो प्यार तू गहरा 

तेरा मेरा साथ हो अगर,
तो प्यार बरसाऊँ सारा तुझ पर,









Tuesday 22 July 2014

प्रणय स्पर्श


























तेरी चाहत ने आज फिर से मुझे जगा दिया,
एहसास का दीप, फिर क्यूँ तूने जला दिया,
छुपा रखा था मैंने, खुद को एक ज़माने से,
आज तूने क्यों फिर मुझे रुला दिय…

तेरी चाहत ने आज फिर से मुझे जगा दिया,

स्थिर थी मैं, ठहरे हुए पानी कि तरह
पत्थर मार, क्यों इन लहरों को प्रवाह दिया,
क्यों फिर से मुझे, महसूस हुआ मेरा अस्तित्व ,
मैं - मैं भी हूँ, क्यों मुझको याद दिला दिया

तेरी चाहत ने आज फिर से मुझे जगा दिया,

सपना था, कि मुट्ठी में होगा अब आसमां,
ऐसी अतिश्योक्ति को क्यों फिर तूने हवा दिया,
तेरी फूंक ने चेहरे से, उड़ाया था जो ज़ुल्फ़ों को,
ऐसा वज्र क्यों मुझे पर आज गिरा दिया..

तेरी चाहत ने आज फिर से मुझे जगा दिया,

कल तक था तू इस मर्म का मेहमान
आज क्यों तूने इसेअपना घर बना दिया,
भ्रम था मुझे, मेरी अनम्यता  का ,
क्यों तूने मेरे भावों का बोध करा दिया,

उम्मीद का पैमाना आज फिर तूने छलका दिया,
तेरी चाहत ने आज फिर से मुझे जगा दिया,


Tuesday 15 July 2014

बारिश




रिमझिम बारिश की बूंदे 
जब तन को छू कर जाती है 
सुलगते हुए मन में 
ठंडी सी आग लगाती है 


रिमझिम बारिश की बूंदे

 जब अधरों को सहलाती है,
तेरे प्यार की आस भी 
मेरी प्यास बन जाती है 

ठंडी ठंडी पवन जब

 ज़ुल्फ़ें उड़ा कर जाती है
 तेरी वो आवाज़ कानों में 
गुंजन करके जाती है 

ठंडी ठंडी बूंदे जब 

बालों से रस टपकाती है 
न जाने फिर से दिल को क्यों 
तेरी याद सताती है। 

Tuesday 1 July 2014

कहीं खो गयी हूँ मैं

When you completely lose yourself, you find it once again somewhere, the lonely YOU.. nothing left other then regrets and incompleteness. Regrets of leaving behind everything.

A story of very ambitious, Career Oriented girl left many things behind.Lost herself in the journey of achieving her goal.


कहीं खो गयी हूँ मैं 

शायद सो गयी हूँ मैं
प्रेम भी है , सम्मान भी है,
मंज़िले भी है, मुकाम भी,
पर मैं - मैं नहीं

खोज रही , अब खुद को,
कुछ झूठे अफसानों में,
माप रही है दुनिया मुझको,
कुछ अनचाहे पैमानों में'

कहीं खो गयी हूँ मैं
शायद सो गयी हूँ मैं

चाहत न रही मन में
सिवाय खुद को पाने की
थोडा-सा समय ,
अब खुद के साथ बिताने की

हिम्मत न रही दिल में
कुछ और नया अपनाने की,
बनावटी इस दुनिया में,
कुछ साबित कर दिखाने की ,

भाग- दौड़ से भरी ज़िन्दगी,
जहाँ अपनों का कोई स्थान नहीं,
झूठी शान-ओ- शौकत में,
अब अपनों का कोई मान नहीं

भूल गयी हूँ, अच्छा सोना,
वो मस्ती से खुश होना,
मुस्कान तो रहती चेहरे पर
भूली हँसी से आखें धोना

सपने होते थे सिद्धि के
जब देखी न थी ऐसी दुनिया,
अब हो गया ज्ञान सत्य का ,
के ये सब तो है दिखाने को ,

ऐसे भी कुछ दिन होते थे,
जब लज्ज़त को होती थी रसना,
सोच समझ केर चलती अब तो,
भूल गयी सत कहना,

रिश्तों से प्रेम हैं अब भी,
खली फ़ोन पर जताने को,
उसमें भी गणित आगई
पैसों का हिसाब लगाने को,


खुली आँख से सपने देखे,
बार बार दिल मचलाने को,
जाने अब वो कहा खो गए,
कई अरमाँ नए दबाने को,


कही खो गयी हूँ मैं,
शायद सो गयी हूँ मैं,

प्रेम भी है , सम्मान भी है,
मंज़िले भी है, मुकाम भी,
पर मैं - मैं नहीं …

Monday 30 June 2014

Mere BABA


आपके प्रभुत्व के व्याख्यान को, मेरी रचनाएँ तुच्छ है  ,
गौरव के बखान के आगे शब्दकोष भी न्यून है
फिर भी एक कशिश है, आप की खोज में, 
मेरे प्रिय बाबा आपके चरणो में समर्पित मेरा एक छोटा सा प्रयास


कैसे इस दिल को मनाऊँ, की आप अब नहीं
कैसे अब खुद को समझाऊँ, की आप यहाँ नहीं,

छोटे-छोटे  हाथों को आपने थामा था यूँ
इस दुनिया को हमने जाना था यूँ
पढ़ाया-लिखाया, हर वक़्त कुछ नया सिखाया
नए-नए सपने, नईं चाह को जगाया

हर प्राणी से प्रेम करना, अपने सिखाया,
उगते सूरज से, ढलती शाम तक,
हर एक क्षण का अवलोकन आपने बताया
कितनी खूबसूरत ये है दुनिया, ये आपने दिखाया

छोटे-छोटे हाथों में पेंसिल पकड़ना सिखाया
बड़े होते-होते, गीता का ज्ञान भी बताया
हमारे सपनों के साथ, अपनी उम्मीदों को लगाया
ऐसे अपने हम-में, कुछ बनने का जज़्बा जगाया,

बचपन की कहानियाँ, अब कौन सुनाएगा
अपनी जवानी के किस्से, अब कौन बताएगा
याद आता है वो हर पल, जो गुज़रा है आपके साथ
इतना ख्याल हमारा, अब कौन रख पायेगा

ठहाकों से भरी थी ज़िन्दगी, सुनी कर गए
खाली हाथ हम, और आँखे भर गए
सर से हाथ उठा कर क्यों चल दिए?
क्यों इतन प्यार लुटा कर यूँ चल दिए?

छोड़ गए सबकुछ , उस मुस्कान के सिवा
छोड़ गए सब, प्यार और ज्ञान के सिवा
आखों का वो तेज, वो सम्पूर्णता कहाँ,
अब हमारी रचनाओं में, परिपूर्णता कहाँ

अब आया था वक़्त, जब हमने ध्यान रखना था,
आपके हाथों को थाम, अब हमने चलना था,
क्यों इतना भी हमें , मौका न दिया


जब हमारी बारी आई, तो ऐसे दगा किया??